
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लोकभवन सभागार में ‘Mission Shakti‑5.0’ नामक महत्वाकांक्षी अभियान की शुरुआत की। ये अभियान नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के उद्देश्य से समर्पित है — और शुरुआत में ही दिखा रहा है कि नीयत साफ हो तो योजनाएँ अपने‑आप पंख फैलाती हैं।
SOP, और सशक्त नारी‑समृद्ध प्रदेश
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प्रदेश के 1,647 थानों में नवस्थापित Mission Shakti केंद्रों का उद्घाटन किया गया।
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SOP पुस्तिकाएँ, बुकलेट और ‘सशक्त नारी, समृद्ध प्रदेश’ फोल्डर जारी।
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जनपदों ने इस ऐतिहासिक पल में भाग लिया।
पुलिस भर्ती में महिला शक्ति का विस्फोट!
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2017 से पहले यूपी पुलिस में महिलाओं की संख्या लगभग 10,000 थी; आज यह 44,000+ हो चुकी है।
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हर भर्ती में 20% महिला कोटा अनिवार्य।
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हाल ही में भर्ती 60,200 पुलिसकर्मियों में से 12,000+ महिलाएँ प्रशिक्षण ले रही हैं।
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ट्रेनिंग क्षमता बढ़ी है — पहले 3,000, अब 60,000+ महिला पुलिस प्रशिक्षण प्लेसेंगो।
शिक्षा विभाग से लेकर रोज़गार तक — हर क्षेत्र में नारी सहभागिता
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स्कूल‑क्लास यूनिफॉर्म, जूते, मोजे, किताबें आदि की व्यवस्था — हर बच्ची को समान अवसर।
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कन्या सुमंगला योजना के तहत जन्म से स्नातक तक आर्थिक पैकेज; 26 लाख + बेटियाँ लाभार्थी।
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सामूहिक विवाह योजना में ₹1 लाख की सहायता — बिना भेदभाव के।
स्वरोजगार, पोषाहार मिशन और महिलाओं को आर्थिक आज़ादी
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बैंकिंग कोरस्पॉन्डेंस सखी योजना से 40,000+ महिलाएँ हजारों करोड़ रुपए के लेन‑देह कर रही हैं।
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पोषाहार मिशन से ठेकेदारों की धांधली खत्म; 204 टेक होम राशन प्लांट से 60,000 महिलाएँ प्रति माह ~₹8,000 तक कमाती हैं।
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योजना की पहुँच इस तरह बढ़ी है कि नारी सिर्फ सहारा नहीं, आर्थिक इकाई बन रही है।
कानून, दंड और अपराधियों के लिए चेतावनी
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2024‑25 में लगभग 9,513 मामलों में 12,271 अपराधियों को सजा मिली है।
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इसमें नर्य‑संबंधी अपराधों के मामलों की कठोर कार्रवाई दर्शाती है कि अब अपराधियों को सार्वजनिक चेतावनी मिल चुकी है।
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“गलती से उत्तर प्रदेश आ गया” जैसा बयान, सरकार की कार्रवाई के बाद किया गया — संकेत है कि कानून की पहुँच बढ़ी है।
यह सिर्फ़ शुरुआत नहीं, बदलाव की बुनियाद है
Mission Shakti‑5.0 सिर्फ़ एक इवेंट नहीं, एक परिवर्तन की लहर है। ये वो बुनियाद है जिसपर नारी स्वावलंबन, सुरक्षा और सम्मान खड़ा होगा — न कि सिर्फ़ घोषणाएँ होंगी।
अब सवाल यह नहीं कि क्या होगा, बल्कि कैसे होगा, कितने प्रभावी होगा और कितनी महिलाओं तक पहुँचेगा — यही अगला पड़ाव है।
अब ना टाइमटेबल बनेगा, ना टॉपर उठेगा – बस जो याद है वही जलेगा!